क्या है मांगालय?
मांगालय
नाम कुछ विचित्र लग रहा है न?
अच्छा, चित्रकथाएँ या कॉमिक्स तो आपने पढ़ी ही होंगी।
उनकी मज़ेदार दुनिया में घंटों खोए रहे होंगे।
जापान में भी चित्रकथाओं का जुनून सिर चढ़ कर बोलता है।
जापानी चित्रकथाओं को ही मांगा कहते हैं।
बच्चों से लेकर बड़ों तक जापान में शायद ही कोई होगा जो मांगा न पढ़ता हो।
किसी के लिए ये बस और रेल की हमसफ़र हैं तो किसी के लिए चाय की साथी।
कोई इनके साथ यादों में गलियों में टहल आता है तो कोई सपनों की ओर उड़ान भरने को मचल उठता है।
बात इतिहास की हो या विज्ञान की, प्यार-मोहब्बत की या लड़ाई-झगड़े की, मुश्किलों से हार मान लेने की या उनसे उबर कर नई राह तलाशने की... मांगा की कहानियों में ज़िन्दगी के हर पहलू की झलक मिलती है।
मांगालय (मांगा + आलय) एक कोशिश है, हिन्दी पाठकों को जापान की इन कहानियों के करीब लाने की, जापान के दिल में झाँकने का मौका देने की।
हल्के-फुलके अन्दाज़ में गहरी दोस्ती की ओर कदम बढ़ाने की।
जानते हैं? सफ़ेद कागज़ और काली स्याही...मांगा बनाने के लिए बस यही चाहिए।
लेकिन इस सादेपन पर मत जाइएगा।
काले और सफ़ेद रंगों की ये जोड़ी मिलकर ऐसा अद्भुत ताना-बाना बुनती है कि हर पाठक के मन में हज़ारों रंगों बिखर जाते हैं।
यकीन नहीं आता? तो मांगालय में कुछ वक्त गुज़ारिए और खुद आज़मा कर देख लीजिए।