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परमाणु बम हमला और हिरोशिमा की लड़की
रचनाकार - सासुराइ नो कानाबुन रचनाकार - मांगालय MANGALAYA अनुवाद - सुमीता भट्टाचार्जी
“वैसा युद्ध फिर कभी न हो...
पूरे विश्व में शान्ति के लिए प्रार्थना करती हूँ”।
यह किसी कहानीकार की कल्पना नहीं बल्कि युद्ध के महाविनाश की साक्षी, रचनाकार की नानी के मन की गहराई से निकली सच्ची पुकार है।
हिरोशिमा पर हुए परमाणु बम हमले में जीवित बचे लोगों के अनुभव अनमोल हैं। उन्हें आने वाले समय के लिए सहेज कर रखने के लिए रचनाकार सासुराइ नो कानाबुन ने अपनी नानी से बार-बार उनकी कहानी सुनी, हिरोशिमा शान्ति स्मृति संग्रहालय के कई चक्कर काटे और उस ज़माने की जानकारी इकट्ठा करके इस मांगा को आकार दिया।
जापान में इस पर आधारित टेलिविज़न धारावाहिक भी बन चुका है।
यह मांगा केवल ऑनलाइन उपलब्ध है और इसे अब तक करीब छः लाख बार देखा जा चुका है।
कुछ पन्ने पढ़ें!
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